स्टेंट के इंतजार में दिलशाद की हुई मौत- छह स्टेंट के खर्च का पैसा नहीं जुटा पाए
- यूपी सरकार से मिली थी 75 हजार की आर्थिक सहायता
बीते छह महीने से दिल में स्टेंट डालने का इंतजार कर रहे दिलशाद की शनिवार दोपहर मौत हो गई। धमनियों में अधिक रूकावट को देखते हुए जीबी पंत अस्पताल ने उसे छह स्टेंट की जरूरत बताई थी, जिसपर अनुमानित खर्च एक लाख 41 हजार रुपए बताया गया। रुपए जुटाने में अक्षम दिलशाद ने यूपी सरकार से मदद मांगी। लेकिन सरकार ने केवल तीन स्टेंट का ही पैसा दिया, जिसे लगाने के लिए वह छह महीने से जीबी पंत के चक्कर काट रहे थे।
रामुपर निवासी 56 वर्षीय दिलशाद शुक्रवार को जीबी पंत अस्पताल में ही थे, चलने में बेहद अक्षम उनकी पत्नी ही उन्हें पकड़ कर चल रही थी। पूछने पर पता चला कि दिल में बहुत दर्द है लेकिन यहां इलाज नहीं हो पा रहा। दरअसल दिलशाद अपनी बीमारी के लिए जरूरी कीमत का पैसा नहीं जुटा पा रहे थे। दिसंबर महीने में मशक्क्त कर उसने यूपी सरकार से 75 हजार रुपए की धनराशि स्वीकृत भी करा ली, दिसंबर महीने में ही यह धनराशि अस्पताल के खाते में भी आ गई, बावजूद के फरवरी महीने तक भी दिलशाद की एंजियोप्लास्टी नहीं हो पाई। चिकित्सक छह की जरूरत पर तीन न लगाने का जोखिम नहीं उठा पाए और दिलशाद की मौत हो गई। जीबी पंत के एमडीआर रूम से मिली जानकारी के मरीज को एक प्रार्थना पत्र लिखना था, जिसके बाद उसकी सहमति से छह की जगह तीन स्टेंट लगाए जाते। दिलशाद की पत्नी ने बताया कि उन्हें किसी ने भी प्रार्थना पत्र लिखने की बात नहीं बताई। शुक्रवार को भी चिट्ठी लिखने के बाद दिलशाद को दस दिन के बाद की तारीख दी गई। इस बार वह इनता लंबा इंतजार नहीं कर सका और शनिवार को रामपुर में दिलशाद ने दम तोड़ दिया।
सरकार ने कम धनराशि स्वीकृत की
दिलशाद का इलाज करने वाले जीबी पंत अस्पताल के हृदयरोग विभाग के प्रमुख डॉ. विजय कुमार त्रेहन ने बताया कि जिस मरीज को छह स्टेंट की जरूरत उसे तीन लगाकर छोड़ देना सही नहीं, यूपी सरकार को यदि मरीज की मदद करने ही थी तो उसे जरूरत के अनुसार धनराशि स्वीकृत की जानी चाहिए थी। बावजूद इसके दिलशाद की मौत होना बेहद दुखद है।
मामले की जानकारी नहीं
ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है, रिकार्ड जांच कर पूरी जानकारी हासिल की जाएगी, मरीज के इलाज में यदि बेवजह की तारीख दी गई तो अन्य पहलू भी जांचें जाएगें।
डॉ. राजीव चावला, निदेशक, जीबी पंत अस्पताल
हर महीने होती है एक हजार एंजियोप्लास्टी
दिल्ली सरकार के प्रमुख सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हर महीने एक हजार मरीजों की एंजियोप्लास्टी की जाती है। पिछले साल अस्पताल के स्टॉक में 7200 स्टेंट की आपूर्ति की गई।