एक अपील
अगर किसी को भी भगवान के न होने पर शक है तो एक उससे जरूर मिलें, यह एक चमत्कार ही अपनी जिंदगी की इतनी विषम परिस्थितियों के बीच भी कोई शक्ति उसे टूटने नहीं देती, कोई भी अपना सगा पास न होने के बाद भी हैं कोई ऐसा जो उसका कभी साथ नहीं छोड़ता, मुश्किलें है कठिनाइयां हैं बावजूद इसके उसे उपर वाला हर बार बचाता है। हां यह परमात्मा का ही सानिध्य है जो वह आज खुली हवा में सांस ले पा रहा है, बीते सात महीने से तो नौबत यहां तक पहुंच गई कि उसे खुद पता नहीं कि अब वह जेल पहुंच जाएं, नहीं अगर आप यह सोच रहे हैं कि वह कोई अपराधी है, जेल से भागा हुआ चोर है, तो आप पूरी तरह गलत है। कोई परिणाम निकालने से पहले, उसके जीवन पर नजर डालते हैं तब शायद चमत्कार होने या फिर भगवान के धरती पर होने का विश्वास और दृढ़ हो सकेगा। हर दूसरा व्यक्ति जो उससे मिलता है अगले ही दिन कन्नी काटने लगता है यह कहकर कि जीवन में इतना परेशान कोई कैसे हो सकता है, मानते हैं मुश्किलें आती है लेकिन हल भी हो जाता है और जिंदगी सामान्य चलती रहती है। नहीं उस शख्स की जिंदगी में ऐसा कुछ भी सामान्य नहीं, पोस्ट पढ़ने मे लंबी हो सकती हो सकती है उसके जीवन को कागज पर उतारने की कोशिश करने वाली ऐसी सैंकड़ों पोस्ट कम पड़ जाएगीं, दरअसल बचपन ही आभावों के बीच रहा, पिता देवता स्वरूप भाइयों से अपना हिस्सा नहीं मिला तो खुद मेहनत कर मकान खड़ा कर लिया, इलाहाबाद के पाश इलाके में ऐसी कोठी जो हर कोई आता जाता देखें, हो भी क्यूं न एक किराने की दुकान चलाने वाला व्यक्ति भला इनती मेहनत कर इनती सफलता कैसे हासिल कर सकता है। घर के अपने ही बेगाने हो गए, बड़े भाइ को भड़काया गया, घर में फूट डाली गई, झगड़े शुरू हुए तो आशियाना बिखरते देर न लगी, भाई ने हिस्सा मांग लिया, घर बिखर गया, बंटवारा हुआ। अच्छा पैसा भी मिला, लेकिन बंटवारे का दुख पिता को लील गया, पिता बीमार पड़ गए, मकान बेचने के बाद मिले पैसे भी इलाज में ही खर्च हो गए। बचा कुछ नहीं, मकान भी हाथ से गया और पिता भी नहीं रहे, घर पर कारोबार को देखना था तो नौकरी या आगे की व्यवसायिक पढ़ाई भी ज्यादा नहीं हो पाई। धीरे-धीरे सबकुछ खत्म होता जा रहा था, भाई का गुमान अब भी यह समझने को तैयार नहीं था कि बंधी झाडू लाख की, बिखरे तो खाक की, लेकिन उसे कोई नहीं रोक सकता था। पिता के जाने के बाद मां को लेकर भी झगड़ा शुरू हो गया, छोटे भाई को सबके सामने बुरा बताने एक मुहिम शुरू हो गई वह चाहकर भी अपना पक्ष नहीं रख पा रहा था। किसी गैर ने परिवार के एक शख्क के कान में जगह का ऐसा घूंट घोला कि उसके आगे वह बचपन का भाई प्रेम भी भूल गया, उसे भाई इतना बुरा लगने लगा कि उसने अलग रहने के लिए उसके चरित्र पर भी लांछन लगाना शुरू कर दिया। पारिवारिक विवाद के चलते ही वह अपने भविष्य पर भी ध्यान नहीं दे पाया, घर के कारोबार में मंदी, पिता की मौत, भाई का अलग होना और आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से जीवन धीरे धीरे गर्त में जा रहा था। बचपन की एक दोस्त थी जिसके साथ कभी जीवन बिताने की सोची थी उसे भी एक झूठ कहकर अलग कर दिया गया। जीने की ऐसी कोई खास वजह रह नहीं गई थी, जिस दुकान पर बैठने की वजह से वह नियमित स्कूल नहीं जा पाया, अब उसपर भाई ने कब्जा कर लिया था, वह दुकान पर छोटे भाई का साया भी नहीं पड़ने देता था। परिवार में कुछ इज्जत बची रहने इसके लिए उसने केवल मां को अपने साथ रहने की बात कहीं, बड़े भाई ने मां को जाने दिया। यह बात ही उसके लिए तसल्ली से कम नहीं थी परिवार की इज्जत पैसा, प्यार सब गया, लेकिन मां साथ आ गई। अब भी दुश्वारियां कम नहीं थी, मां को एक सम्मानजनक जीवन देने के लिए एक आमदनी होना जरूरी था, भाई ने कारोबार पर कब्जा कर लिया, अब उसके बाद कुछ नहीं बचा था। दुकान पर न बैठता तो आईआईएम की पढ़ाई कर लेता, लेकिन उस समय भी भाई ने आगे की पढ़ाई करने की जगह दुकान पर बैठने का जोर बनाया, आज उसी दुकान से वह अलग हो गया। इस बीच इकलौती बहन की शादी हो चुकी थी, शुरूआत में ससुराल में सब अच्छा रहा, लेकिन मायने की माली हालत अच्छी न होने का असर लड़की के ससुराल पर जरूर पड़ता है। घर में रार की बात ससुराल पहुंची तो बहनोई ने बहन पर जुल्म करना शुरू कर दिया, इस बीच दो बार अच्छी नौकरी लगी लेकिन वह भी ज्यादा दिन नहीं चल पाई। बहन के एक बेटी हुई, जो शुरू में मामा को बहुत प्यार करती थी, जब देखा मामा के हाथ पैसे से तंग है तो वह दूर होने लगी। बहनोई के अत्याचार एक दिन बहन की मौत की बात खत्म हो गए, हालात पता थे कि उसे मौत नहीं हुई मारा गया है गुस्सा सातवें आसामान पर पहुंच गया, पुलिस केस करने की पूरी तैयारी थी मां ने छोटे बेटे से कहा बेटा केस करने के लिए भी पैसे चाहिए होते हैं सोच लो कैसे दिलाआगे बहन को न्याय? वह खून का घूंट पीकर रह गया। बहन का जाना उसे अंदर तक तोड़ गया, बहन नहीं जी का टुकड़ा था, अब जीना सच में मुहाल होने लगा, कुछ भी करने और खुद को दोबारा समेटने की हिम्मत टूट चुकी थी। ध्यान और मेडिटेशन में उसका शुरू से मन था, परिस्थितियां इतनी विपरित थी उसका ध्यान प्रभू में रमने लगा, यही वजह रही कि जब कुछ समझ नहीं आता तो वह रात-रात भर मेडिटेशन में ही रहता। जिससे अंर्तमन काफी मजबूत हो गया, लेकिन परिस्थितियां अब भी मुंह बाए खड़ी थी, वर्ष 2012 में अच्छी नौकरी लगी, कुछ हालात सुधारने के लिए बैंक से लोन ले लिया, पता क्या था कि लोन लेते ही तीन महीने बाद फिर नौकरी चली जाएगी, अब तो घर के जरूरी खर्च के साथ ही बैंक की पचास हजार की मासिक ईएमआई का भी इंतजाम करना था। हुआ क्या, बाकी खर्च रोक कर बैंक के लोन से ही उसकी ईएमआई चुकता की जाने लगी, लेकिन वह भी कब तक कमाई के और साधन खुल ही नहीं रहे थे, जिस काम में हाथ डालो उसी में घाटा। नौकरी गए थी तीन साल हो गए, बैंक का पैसा ही बैंक को लौटाया जा रहा था, लेकिन वह भी कब तक, बीते छह महीने से ईएमआई रूकी है। लोन के समय दिया गया ब्लैंक चेक किसी भी दिन लगाकर बैंक रिकवरी जेल भेज कर करा सकती है। खुद भूखे रहा जा सकता है मां और एक पालतू पशु को भूखे रहने अपराध करने जैसा है। भगवान हर बार किसी तरह बचाता है इस बार हालात बहुत खराब है सात साल कैद होने के बाद कुछ नहीं बचेगा कुछ भी नहीं, मां और कुत्ते को देखने वाला कोई नहीं, भाई पहले ही मुंह फेर चुका है। कहते हैं भगवान इंसान को ही किसी रूप में धरती पर मदद के लिए भेजता है, इस पोस्ट को पढ़कर किसी भी व्यक्ति के अंदर का भगवान यदि जागता है तो तुरंत संपर्क करें, आपकी एक छोटी सी सहायता किसी का जीवन बर्बाद होने से बचा सकती है। संपर्क करें - 9911819723
