Thursday, 1 November 2012



लम्बे अरसे से खवाइश थी,, इस मंच पर  अपनी बात कहने की कुछ सुनने की और कुछ सुनने की
ज़िन्दगी की मश्रुफ़िअत इसका भी मौका नहीं देती है लेकिन इन्ही मुरूफिअत में ही अपनों के लिए समय निकलना असल जिंदगी है, ब्लॉग पर आने का मेरा सीधा मतलब है,,आम जीवन में आस पास ऐसा बहुत कुछ घटता है, जिसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता, मेरा मानना है की वोह मनुष्य ही नहीं जिसका जीवन खुद तक सिमट गया। हम समाज के लिए बहुत कुछ नहीं के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकते लेकिन बेरूखी छोड़ दे तो बहुत कुछ हो सकता है, आज दूर कही से रेडियो की आवाज आ रही है, रात के महफ़िल के 70 के दशक के पुराने नगमे,  कुछ वैसे ही जैसे गावो में रात के सन्नाटे में झिगुर की मधुर आवाज सुने देती थी, शायद यह आवाज भी इसीलिए आई की आज से कुछ घरो का केबल बंद हो गया है,  इसी एक वजह से आज मुझे भी कुछ लिखने का समय मिला।

बाकि परिचय के लिए इतना काफी है बाते और भी है,


 

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