Wednesday, 24 April 2013

udaipur



पत्रकारिता में रहते हुए मुझे शहर और गाव दोनों देखने का मौका मिला लेकिन शुरू से ही गाओं की दिनचर्या ने मुझे ज्यादा आकर्षित किया शायद इसलिए  की कभी गाव को नजदीक से नहीं देखा था, यूनिसेफ के एक कार्यकर्म के दौरान उदयपुर और जोधपुर जाने का मौका मिला, राजस्थान की अरावली पहाडियों का जितना खूबसूरत नज़ारा यहाँ से दिखाई देता है शायद ही राजस्थान के किसी और जिले में ऐसा नज़ारा हो
      मुख्य शहर से बीस किलोमीटर की दूरी पर ही सच्चाई पता चल जाती है। गुजरात की सीमा से लगे उदयपुर के खेरवाडा पंचायत अनुशुचित जाती और जनजाति के लोगो की करीब पचास हज़ार लोगो की आबादी है इस आबादी का पेट गुजरात से सत एक शहर हिम्मतनगर पाल रहा है राजस्थान के इस गो में बिजली की भी सुविधा नहीं है पहाडियों के ऊपर पोल नहीं पहुचाये जाते कहा जाता है की इसका पैसा सरकार  हमे नहीं देती बिजली चहिये तोह लेबर  का पैसा दो। कुछ तो गोव  छोड़कर चले गए कुछ लोग बिना बिजली पानी के यहाँ रहने को मजबूर है, इस इलाके के  ही कुछ लोग बी टी कॉटन की खेती भी कर लेते है। मोदी और राजस्थान की सरकार हालाकि बाल मजदूरी पर प्रतिबन्ध लगाने के बात कहती है लेकिन राजस्थान और गुजरात के इस बॉर्डर पर खूब बाल मजदूर काम करते है, दरसअल बी टी कॉटन का काम  परगन को एक फूल से दूसरे फूल में डालने का होता है यदि कोई व्यस्क इस काम को करता है तोह उसकी कमर झुक जाती है इसलिए इस काम के लिए विशेष रूप से बच्चो का इस्तेमाल होता है, गुजरात से उदयपुर सीमा के रास्ते से यहाँ बच्चो से बाल मजदूरी कराइ जाती है परगन जैसे मेहनत  भरे काम के एवज में सिर्फ ३०  रुपए मिलते है। ऐसे किस राज्य की सरकार को जनता का हितैषी कहा जाये,, शायद बच्चो वोट बैंक नहीं है इसलिए यह बेरूखी है।

ARE WE DOING RIGHT?



महिला अधिकरो पर बात करते ही जेहन में एक ही सवाल उठता है , यह आवाज यह धरना और यह विरोध तोह ठीक है लेकिन पर्दे के  पीछे का एक सच और भी है, यह नहीं कहूगी की महिलाये कानून का गलत इस्तेमाल करती है या फिर पुरुष उत्पीडन के शिकार हो रहे है। डर आने वाले कल की उस हकीकत का जिस पर आज धयान नहीं दिया जा रहा, आज ऑफिस में चर्चा हुई बलात्कार और वेश्यावृति की, दोनों अलग अलग बाते है क्या सच में अलग है,, गाँधी नगर बलात्कार मामले के ठीक एक दिन पहले नानकपुरा में एक नेपाली लड़की ने बलात्कार हुआ यह कहा पुलिस की थ्योरी में हलाकि शुरुआत में बलात्कार की पुष्ठी नहीं हुई लेकिन लड़की के आरोप ने मीडिया में खूब जगह बटोरी,,, अगले दिन ५ साल की मासूम के साथ दो लोगो ने बर्बर तरीके से बलात्कार किया,, घटनाये दोनों एक से है लेकिन एक फर्क है,,, नेपाली लड़की का आरोप था जिसे बाद में सही नहीं माना गया,  डर इस बात का ही है की कही ऐसा समय न आ जाये जब की झूठे और इरादतन आरोप में असल बलात्कार भी न छिप जाये,, निश्चित रूप से समाज में बलात्कार की घटनाये बढ़ने के साथ ही वेश्यावृति भी बढ़ी है लेकिन भविष्य में महिलाओ सुरक्षा के लिए एक मजबूत कानून बनाने के लिए यह जरूरी है की इन बलात्कार और वेश्यावृति के बीच के इस फर्क को मिटने न दिया जाये,,