Friday, 12 July 2013

woh hari ghass ki mala

चेन्नई अपने आप में बहुत खूबसूरत शहर है, भगवान् शिव के पुत्र कार्तिक की पूजा स्थली, यहाँ हर मंदिर में भगवान् शिव की मोर के रूप में पूजा होती है, कहावत है की माँ पार्वती ने यहाँ शिव की इसी रूप में पूजा की थी। कपालेश्वर मंदिर कुछ प्रमुख मंदिरों में एक है, खैर इस शहर की एक परंपरा ने मुझे बेहद आकर्षित किया, यहाँ सब बहुत प्रोफेशनल है, यहाँ की पूजा की एक परंपरा के अनुसार भगवन गणपति की पूजा के लिए रोजाना हरी घास और धान चढ़ाया जाता है, इसी क्रम में जब मंदिर के बाहर बैठी महिला से बात हुई तोह उसने अपनी भाषा में कुछ कहा, दस मिनट का समय बिता कर जब हम चलने लगे तोह बताने के एवज में पैसे मांगने लगी, बॉस बात में तोह दम था, हम बेवजह किसी से भी युही जानकारिया झटक लेते है,  जिसमे हमारा तोह हित होता है पर सामने वाले का क्या, पहली बार पता चला इसकी भी कीमत है, खैर मत जी से दो प्यार के बोल कह कर हम आगे चल दियॆ, लेकिन सोचना बनता था की आखिर बेवजह किसी को समय क्यों दिया जाये, शायद इसीलिए इस शहर ने इतनी तररकी की,.माता जी को समझा कर हमने गुड की खीर का प्रसाद खाया और सटक लिए।।

1 comment: