Friday, 3 October 2014

General ward

एम्स की ओपीडी की भीड़ में हर इंसान के चेहरे की अलग कहानी है. कहना चाहे तोह एक लाइन में बाय हो जाये की सब बीमारी का इलाज करने आते है जबकि पढ़ा जाये तो हर चेहरे की अलग कहानी है, कुछ मायूस से कुछ परेशान तो कुछ अपनी ही किस्मत का रोना रोते मरीज सही भी है देश में बीमार होना किस्मत ख़राब होने जैसा ही है.जो  एम्स जैसे सरकारी संस्थान में भी  इलाज कराने के  लिए अपना घर और जमीन बेचकर आते है, खैर काम के सिलसिले अक्सर एम्स जाना होता है, इसलिए काम ही नहीं यहाँ लोगो का दर्द देखकर भी अपनी परेशानिया रत्ती भर नहीं लगती, पिछले हफ्ते एक स्टोरी के लिए यहाँ की राजगरिया धर्मशाला में जाना हुआ, यह जगह भी अपने आप में एक अलग कहानी कहती है, दूसरे राज्यों से यहाँ इलाज के लिए आने वाले  दूसरे से इस कदर नाता जुड जाता है की सगे भी क्या मदद करेँगे, इसी वार्ड में बीते कई महीने से ३२ वर्षीय लक्ष्मी रह रही है, दिल का वाल्व ख़राब है ऑपरेशन की तारीख २० महीने बाद की मिली है, संस्कृत से बीए पास लक्ष्मी को उसका पति छोड़ गया है बिहार में तीन साल के बेटे को छोड कर खुद अपना इलाज करने एम्स में है. सर्जरी में आने वाले खर्च का जुगाड़ करने के लिए बार बार स्वास्थय मंत्रालय जाना पड़ता है, कई बार रास्ते में साँस फूल जाती है लेकिन कोई साथ देने वाला नहीं, बीमार पत्नी को पति साथ नहीं रखना चाहता, और ससुराल वाले इलाज नहीं करना चाहते, पैसे का बंदोबस्त हो पाये तोह शायद लक्ष्मी बच जाये लेकिन ससुराल या मायके  उसके साथ नहीं,  यहाँ यह पूरी कहानी कहने का मकसद लक्ष्मी का दर्द बताना नहीं है बल्कि यह कहना है कि. पढ़ी लिखी लडकिया आखिर समय के आगे ऐसे कैसे झुक सकती है, लक्ष्मी जैसे औरतो और लड़कियों को देखकर तरस आता है, अपनी किस्मत खुद बनाये बिना जिंदगी में सम्मान हासिल नहीं हो सकता, जिसकी कोशिश खुद लड़कियों को ही करनी होगी, एक जाने माने डॉक्टर का नंबर देकर लक्ष्मी के इलाज का तोह बंदोबस्त कर दिया,  ज़िन्दगी से हार चुकी लक्ष्मी के चेहरे पर जीने की कुछ चमक दिखाई दी, सुकून तोह मिला लेकिन मन बार बार ये सोचता रहा की उसके पढ़ने  फायदा जो अपने लिए एक अदद प्राइवेट नौकरी न कर सके, जिससे वह अपने और परिवार के बीच सम्मान से तोह जी सकती थी, वह हार गई थी या फिर शादी को ही उसने किस्मत का फैसला मन लिया, लक्ष्मी का इलाज करने में धर्मशाला की ही एक महिला गार्ड ने मदद की है वह ठीक हो जाएगी, शायद अपने पैरो पर खड़े होने की हिम्मत भी जुटा सके,

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