जिस पिता के आखिरी शब्द यह हों कि मरने के बाद मेरा मृत शरीर बेटी के घर ले जाया जाए, बेटा मेरी चिता को भी हाथ न लगाए, तो मामला समझते देर नहीं लगनी चाहिए कि बेटे ने बेटे होने का कोई फर्ज अदा नहीं किया, करीब दो हफ्ते पहले इस बुजुर्ग पिता ने रिकार्डिंग के जरिए बहू बेटे की करसूतों की आपबीती सुनाई। इससे पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर यह भी पूछा कि एक सिनियर सिटीजन होने केनाते क्या मेरा इतना भी अधिकार नहीं कि मैं सम्मान के साथ जी सकूं?
जी हां हर पल उनका सम्मान उस घर में तार तार हो रहा था। द्वारका सेक्टर 12 निवासी 83 वर्षीय केसी मल्होत्रा ने अपने बेटे और बहूे खिलाफ सिनियर सिटिजन एक्ट 2007 के तहत भारतीय संविधान की जान से मारने की कोशिश, सम्पति हड़पने की साजिश, प्रताड़ना, सम्मान को ठेस पहुंचाना, मानवीय अधिकारों का हनन और भरपेट खाना न देनो सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज करने और गिरफ्तार करने की मांग की है। सात जुलाई को द्वारका थाने में दर्ज शिकायत में बुजुर्ग पिता ने 17 पेज की लिखित शिकायत दर्ज कर बहू और बेटे सहित बहू के रिश्तेदारो पर प्रताड़ता का आरोप लगाया है। हालांकि बुजुर्ग पिता की 16 जुलाई को ब्लड कैंसर से मौत हो गई। अब आगे की लड़ाई बेटी लड़ेगी जिसकी जिम्मेदारी पिता ने सौंपी है।
जिस बेटे को पढ़ाया लिखाया, उसकी नौकरी तक लगवाई, बिजनेस में लाखों का नुकसान हुआ तो उसकी भी भरपाई पिता ने अपनी जमा बचत से ही पूरी की, बावजूद इसके बेटे ने बहू के साथ मिलकर पिता न सिर्फ घर से बाहर निकाल दिया, बल्कि उन्हे खाना भी नहीं दिया, एक तरह से अपने ही घर में कैदियों की तरह रहें। बेटी अब बेटे द्वारा पिता को प्रताड़ित करने की सजा दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती, बेटी की अंर्तआत्मा ने कई बार आवाज दी कि पापा वहां ठीक नहीं है। फोन भी किया, लेकिन पिता अपने अनुभव और बेटे की कार गुजारियों को किसी को न बताएं इसके लिए उनके कई फोन टोड़ दिए गए। बेटी अब आवाज मुखर कर मीडिया तक अपने भाई की करतूत को पहुंचाना चाहती है। मरने से पहले पिता ने ऑडियो रिकार्डिंग कर अपनी आप बीती सुनाई है। कैंसर से जूझ रहे पिता को बेटे ने डॉक्टर को नहीं दिखाया, बेटी घर पहुंची तो पापा का बिस्तर खून से लथपथ था, इसके बाद से उनके उन्हें भाई के घर पापा को नहीं जाने दिया। तीन साल पहले ही बेटी प्रीति मल्होत्रा की चेन्नई से दिल्ली पोस्टिंग हुई, शादी के बाद वह चेन्नई शिफ्ट हो गई थी, भाई की शादी के बाद से ही पिता पर अत्याचार शुरू हो गए थे, कुछ साल पहले ही मां का भी बीमारी की वजह से देहांत हो गया था। प्रीति कहती हैं कि बीमारी की वजह से पापा ने वकालत की प्रैक्टिस छोड़ दी थी, फोन पर अकसर वह कुछ नहीं बताते थे। एक बार बेटे के व्यवहार से दुखी होकर अकेले ही मेट्रो स्टेशन तक पहुंच गए, जहां से किसी परिचित ने मुझे फोन करके जानकारी दी। इसके बाद से मैने लगातार पापा की सेहत पर नजर रखना शुरू कर दिया, बेटे के गलत व्यवहार के बाद भी पापा मेरे पास ज्यादा दिन नहीं रहना चाहते थे। वह चाहते थे बेटा सुधर जाएं और अपनी जिम्मेदारी समझे, एक बार भूख से तड़फते पिता ने बेटी के घर खाना खा लिया तो घर आकर बहू ने उन्हें सीढ़ियों पर से धक्का दे दिया, और बोली कि बाहर से खाना खाकर आते हैं, लोग क्या सोचते होगें हम इन्हें खाना नहीं देते? बहू बेटे के अत्याचार से परेशान पिता कई बार बेटी के घर चले जाते थे। बावजूद इसके बेटे ने कभी अपना फर्ज नहीं समझा। तीन से पांच मिनट की ऑडियो रिकार्डिंग में बुजुर्ग पिता ने इस बात का भी जिक्र किया है कि बेटे ने कई बार उनका फोन तोड़ा और चश्मा शौचालय में फेंक दिया। दिसंबर की कंपकंपाती ठंड में बहू ने ससुर के बिस्तर पर ठंडा पानी फेंक दिया, और उसी साल बुजुर्ग पिता को बेटा डीडीयू अस्पताल की इमरजेंसी में लावारिस छोड़ आया था। शिकायत के अनुसार मां के इलाज में पैसा जुटाने की आड़ में बहू बेटे ने मालवीय नगर का 40 लाख का मकान बेच दिया, जिसके लिए झूठ बोलकर उनसे मकान के कागजों पर हस्ताक्षर कराए गए, बाद में मां के इलाज पर केवल 80 हजार रुपए खर्च किए गए। 78 बिंदुआें की 17 पेज की शिकायत में केसी मल्होत्रा ने बहू के रिश्तेदार सहित बहू बेटे और पोतो पर भी एक्ट के तहत कार्रवाई करने की मांग की है।
Nishi Bhat

No comments:
Post a Comment