वोह ख़त के पुर्जे उड़ा रहा था
हवाओ का रुख दिखा रहा था
कुछ और भी हो गया नुमाया
में अपना लिखा मिटा रहा था
उसी का इमा बदल गया है
कभी जो मेरा खुदा रहा था
वोह एक दिन एक अजनबी
मेरी कहानी सुना रहा था
वोह उम्र कम कर रहा था मेरी
मे साल अपने बढ़ा रहा था
यू ही कभी.....
Pasand achhi hai ... :)
ReplyDeleteji shukriyaa..nazreyinayat ke liye
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